पटना (बिहार)। आप यह अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सूचना का अधिकार कानून बहुत ही कारगर हथियार के रुप में जाना जाता है । लेकिन क्या आपने कभी सोंचा है कि इस कानून का उपयोग शादी से पहले संभावित वर के स्टेटस और शादी के बाद पति का वेतन पता करने में भी हो सकता है। यदि नहीं तो हम आपको बताते हैं कि किस प्रकार बिहार में सूचना का अधिकार के जरिए वधू पक्ष शादी से पहले संभावित वर के चाल-चलन, नौकरी व वेतन आदि की जानकारी मांग रहे हैं।
आपको जानकर यह हैरानी होगी कि बिहार में शादियों का मौसम शुरु होते ही कई सरकारी कार्यालयों में वर या लड़के की शैक्षणिक योग्यता, पदनाम, स्थायी नौकरी और वेतन की जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदनों की लाइन लग गयी है। लोक सूचना अधिकारी ने खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में जिला प्रबंधक के रूप में पदस्थापित एक लड़के के बारे में बताया कि उसकी शादी रांची के एक कारोबारी परिवार में तय हुई है। और लड़की के पिता ने उनके वेतन, नौकरी स्थायी है या अस्थायी एवं शैक्षणिक योग्यता के बारे में सूचना का अधिकार के तहत आवेदन देकर जानकारी मांगी है। और साथ ही सवाल पूछा है कि लड़के की एमबीए की डिग्री कहां की है?
इतना ही नहीं शिक्षा विभाग में भी इसी प्रकार के सात आवेदन आए हैं, जिनमें संभावित वर के बारे में कई दिलचस्प जानकारियां मांगी गईं हैं। भागलपुर के एक व्यक्ति ने सूचना का अधिकार के तहत आवेदन देकर शिक्षा विभाग से पूछा है कि लड़का नियोजित शिक्षक है, लेकिन उसका वेतन क्या है? भविष्य में उसे प्रोन्नति मिलेगी या नहीं, वेतन बढ़ेगा या नहीं? वहीं सारण के एक कारोबारी ने आवेदन देकर जयप्रकाश विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में कार्यरत लेखा पदाधिकारी के वेतन और उम्र के बारे में सूचना मांगी है। जबकि सबसे दिलचस्प सूचना औरंगाबाद के शिव बालक यादव ने मांगी है। अपने आवेदन में उन्होंने पूछा है कि लोक स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत उनकी बेटी के संभावित वर का व्यवहार कैसा है?
कई वधू पक्ष तो इतने से ही संतुष्ट नहीं हैं वह संभावित वर की आर्थिक हैसियत की सही सूचना पाने के लिए क्रेडिट इनफॉरमेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (सिविल) का भी सहयोग ले रहे हैं। जिससे वर के कर्ज का विस्तृत ब्योरा प्राप्त करने के साथ ही आर्थिक हैसियत का अनुमान लगा सकें। वहीं शादी के बाद कई पत्नियां सूचना का अधिकार के जरिए अपने पतियों के वेतन के बारे में जानकारी मांग रहीं हैं।
आपको बता दें कि सूचना का अधिकार के तहत इस वर्ष जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 1423 लोगों ने इस तरह की सूचनाएं मांगी। जिसमें से 645 मामलों में निजी जानकारियां मांगीं गयी थी। इनमें से 60 फीसदी सूचनाओं को लोक सूचना अधिकारी ने देने से मना कर दिया। और केवल 40 फीसद आवश्यक निजी सूचनाएं ही उपलब्ध करवायी हैं।