मधुबनी (बिहार)। एससी-एसटी एक्ट के तहत बेगुनाह लोगों को जेल में बंद करने के मामलों के बारे में आपने बहुत सुना होगा। मधुबनी में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां अदालत ने एक बेगुनाह व्यक्ति को एससी-एसटी एक्ट एवं महिला से दुर्व्यवहार मामले में जेल में बंद करने के कारण थानेदार पर दो लाख रुपए का जुर्माना ठोक दिया। रुद्रपुर थाना के थानाध्यक्ष किशोर कुणाल झा को इस जुर्माने की राशि को हर माह अपने वेतन से भरनी पड़ेगी। इतना ही नहीं, उसे विभागीय कार्यवाही का भी सामना करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि रुद्रपुर थाना क्षेत्र के बटसर सिसौनी निवासी अशोक सिंह को थानेदार ने एससी-एसटी एक्ट एवं महिला से दुर्व्यवहार मामले में एक झूठे मुकदमे में जेल में बंद कर दिया गया था। जब अशोक सिंह के अधिवक्ता ने न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की तो पता चला कि 90 दिन के बाद भी अशोक सिंह के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दायर नहीं किया। न्यायालय ने जब कार्यालय से रिपोर्ट मांगी तब पता चला कि एससी-एसटी एक्ट एवं महिला से दुर्व्यवहार मामले में जेल में बंद अशोक सिंह बेगुनाह है। उसे अनावश्यक जेल में बंद रखा गया है। इस खुलासे के बाद एससी-एसटी एक्ट के विशेष जज एडीजे इशरतुल्लाह ने रुद्रपुर थानाध्यक्ष किशोर कुणाल झा को फटकार लगाई और वेतन से दो लाख रुपये वसूल करने का आदेश पारित किया। अदालत ने इस आदेश से पुलिस अधीक्षक को अवगत कराने को भी कहा था। अदालत के आदेश के अनुपालन में पुलिस अधीक्षक ने थानाध्यक्ष किशोर कुणाल झा के वेतन से प्रतिमाह 10 हजार रुपये वसूल करने का आदेश जारी कर दिया है। जब तक दो लाख रुपये की जुर्माना राशि वसूल नहीं हो जाती है, तब तक प्रतिमाह दस हजार रुपये थानेदार किशोर कुणाल झा के वेतन से कटौती होती रहेगी। पुलिस अधीक्षक दीपक बरनवाल के अनुसार थानाध्यक्ष किशोर कुणाल झा के वेतन से प्रतिमाह दस हजार रुपये की दर से जुर्माना राशि वसूल करने का आदेश जारी कर दिया गया है। इसके अलावा इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही भी चलाई जाएगी। उम्मीद है कि पुलिसकर्मी आगे से ऐसी हरकत को अंजाम नहीं देंगे और अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाएंगे।