हमारी संसद और विधानसभाओं में आपराधिक तत्वों का चुना जाना, देश का दुर्भाग्य है। राजनीति में आपराधिक तत्वों का वर्चस्व बढ़ना कैंसर की तरह है, जिसका इलाज होना जरूरी है। इस कैंसररूपी महामारी से मुक्ति मिलने पर ही हमारा लोकतंत्र पवित्र एवं सशक्त बन सकेगा। अपराधी एवं दागी नेताओं को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का ताजा फैसला भारतीय लोकतंत्र के रिसते हुए जख्मों पर मरहम लगाने जैसा है।